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Jalpa lalani 'Zoya'

Inspirational

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Jalpa lalani 'Zoya'

Inspirational

ये सन्नाटा

ये सन्नाटा

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कैसा ये सन्नाटा छाया है

गलियां सुनसान पड़ी हैं

बच्चों का शोर दब गया है

पशु-पंछी भी अब उदास हैं।


ना तो मंदिरों में शंखनाद है

ना तो कोई कामकाज है

ख़ुद से ख़ुद को मिलना है

इंसान को इंसान बनना है।


ख़याल के लिए ये अच्छा है

मन को बहुत सुकूँ मिलता है

यह प्रकृति बहुत खूबसूरत है

पर इंसान के बिना रौनक नहीं है।


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