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Maitreyee Kamila

Abstract

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Maitreyee Kamila

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ये ऋतु सावन

ये ऋतु सावन

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छम छम मोती के

बूंदे लगे प्यारा

थाम लूं इसे 

चुराकर रख दूँ 

ये ऋतु सावन।


कैसे बताऊं ,

सूखी डालियों पर,

उदासी सूनापन,

आज खिल खिलाकर

बोले गीत सरगम ।

लेकर ख़ुशियों के दामन

खिला है आँचल

धरती सुंदर मनभावन।



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