ये मेरी कलम
ये मेरी कलम
ये मेरी कलम
मुझे बड़ी अच्छी लगती है।
बिन बोले ही समेट लेती है
मेरे गम़ मेरी खुशी, उत्साह, उमंग
बिखर के कोरे पन्नों पर
सुकून भीतर भर देती है
ये मेरी कलम
मुझे बड़ी अच्छी लगती है।
रात की खामोशियां
जिंदगी की परेशानियाँ
उठाती है जब सवाल
चांद की रोशनी,
फूलों की महक सीने में भर देती है
ये मेरी कलम
मुझे बड़ी अच्छी लगती है।
बहुत देर से सोच में थी
थमाया किसने इसे मेरे हाथों में
कुछ याद ना आया
मन कुछ समझ न आया
दूर बज रही थी मंदिर की घंटियाँ
इशारा दिल ने पाया
इबादत में सर झुकाया।
कलम मेरी
मेरी खुशकिस्मती लगती है
ये मेरी कलम मुझे बड़ी अच्छी लगती है।
