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Javed Ali

Abstract Romance Tragedy

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Javed Ali

Abstract Romance Tragedy

ये दिल तेरे लिए

ये दिल तेरे लिए

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ये दिल तेरे लिए

तेरे लिए

बस तेरे लिए सजा कर रखा है हरदम

ये दिल तेरे लिए 

बचपन का प्यार था 

और बचपन ही था !


कहां थी दिल की बातें 

और कहां दिल की समझ ?

 बस थे उस वक्त तुम और मैं..

और एक अंजाना सा प्यार..

अनजाने से उस प्यार को लेकर 

हम जवाॉ हुए 

साथ 


फिर दिल को समझा

और मोहब्बतों के एहसास हुए ....

फिर दिल हमसे कुछ कहता हम उससे कुछ..

वह तुम्हें चाहता

हम उसे भूलाते 

वह एहसास जगाता 

हम उसे सुलाते हैं 


वह तुमसे मिलना चाहता हम उसे रोकते !

पर दिल कहां किसी 

की माने ?

कर ही बैठा

प्यार जाने-अनजाने,

फिर दिल की सुन हम भी हार बैठे ,

हाय!

तुमसे ही प्यार कर बैठे !


फिर ना जाने कितने इजहार हुए, 

इकरार हुए

चाहतों के सिलसिले 

और मोहब्बतों के बौछार हुए !!

साल बीतता गया.... 

मोहब्बतें चलती रही....

और फिर अचानक जाने अनजाने

एक तकरार हुई... 

तय हुआ 

कि कोई प्यार नहीं 

और 


फिर हम बिछड़े यार हुए

फिर भी इस दिल ने तुमसे ही प्यार किया

मोहब्बत है तुमसे 

सिर्फ तुम ही से है 

यह एतबार किया !

तेरे साथ होने पर भी 

ना होने पर भी


तेरे लिए सिर्फ तेरे लिए

सजा कर रखा है आज भी

 ये दिल तेरे लिए

 सिर्फ तेरे लिए..।


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