प्रदूषण का मरुस्थल
प्रदूषण का मरुस्थल
धरती जो कभी थी
सुनहली, हरी-भरी
आज वह
बन पड़ी
प्रदूषण का मरुस्थल
क्या किया हमने धरती के साथ ?
यह धरती जो हमें कितना देती है..
बदले में दिया हमने सिर्फ -
प्रदूषण और प्रदूषण !!
वाह! रे इंसान! यह तुमने क्या किया?
बदला लेगी प्रकृति और धरती
मिलकर हम सब से..
आखिरी मौका है- सुधर जाओ !!
विनाश के कगार से वापस आ जाओ -
चलो हम सब मिलकर यह प्रण ले -
रखे सदा हम धरती को हरा- भरा,
पेड़ न कोई काटने पाए ,
हर इंसान कम से कम एक
पौधा लगाएँ ,
प्लास्टिक और थर्मोकोल
का नहीं करेंगे प्रयोग ,
इन्हें छोड़कर अन्य चीजों का
करेंगे सदा उपयोग !
कूड़ा कचरा का होगा सही स्थापन,
नहीं होगी गंदगी कहीं भी करेंगे,
धरती का पुनः स्थापन !!
आओ सब फिर से मिलकर
धरती को स्वर्ग बनाएँ,
देती है जो हमको इतना
हम उसको खूब सजाएं,
प्रदूषण के मरुस्थल से
मुक्त करें धरती को-
और फिर से इसे हरा-भरा बनाए !!