STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

ये धुआँ है जहर

ये धुआँ है जहर

1 min
23.4K

ये धुआँ है जहर,

ये धुआँ है कहर।

नाश करता है तन,

नाश करता है मन।

बुद्धि का नाश कर,

नाशे है पर्यावरण।


निगले असंख्य जीवन,

विनाशे अगणित परिवार,

लीले कितने गांव- कस्बे ,

अधिकतर बड़े-बड़े सब शहर।

ये धुआँ है जहर,

ये धुआँ है कहर।


कहकर विकास,

किया सारा विनाश।

संकेत समझें न खास,

हो रहा है सर्वनाश,

फांसे मृत्यु का पाश,

आए सद्बुद्धि काश।

प्रभु की हो जो मेहर,

आए सत्पथ नजर।

ये धुआँ है जहर,

ये धुआँ है कहर।


जीने दो और जिओ,

समझ पीयूष तुम,

गरल अब मत पिओ।

वर प्रभु का ये तन,

राख -लाख करके जतन।

गह प्रभु की शरण,

कर सतत् शुभ मनन।

जाएगा सब गम गुजर,

सब-जहर,सब-कहर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational