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Shalini Tripathi

Abstract

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Shalini Tripathi

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ये दौर वो दौर

ये दौर वो दौर

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ज़िंदगी के इस दौर 

पर जब बैठ के किया ग़ौर 

अपने लिए वक़्त नहीं दिया

ख़ुद को और भी सख़्त कर लिया

क्या खोया क्या पाया

यहीं पर धूप यहीं पर छाया।

ज़िंदगी में ख़ुशी बहुत

पर दुःख का भी दौर आया।

पर ख़ुशी की हर दौर ने

दुख के हर ग़ौर को भुलाया।


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