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गोविंद ठोंबरे

Romance

5.0  

गोविंद ठोंबरे

Romance

यादों के सुराग..

यादों के सुराग..

1 min
7.2K


अश्क यूँ ही कर्ज़ अदा नहीं करते

शबनम बनी निगाहें भिगोकर

वादियाँ सर्द हो जाने से याद आती है

उनके हुस्न की मुरादें दिलों में चुभकर...


वो अक्सर कहा करते थे

आप मेरे नसीब के दिल_ए_फिज़ा हो

फिजायें बदलती रही बदलते वादों की तरह

और बेपर्दा हुस्न_ए_दिदार गुमशुदा होते गये...


मैं आज भी हक्का बक्का सा देखता रहता हूँ

रास्तों के वो सुराग जो आज भी पड़े वहाँ है

जिन गलियारों से निकल कर सुराग रौंदे

वो आते थे मेरी बाँहों में बेख़ौफ़ होकर...


आज वो तो नहीं मगर उनकी कुछ बातें मेरे पास है

उनकी हँसी और उनकी अदाएँ दिल_ए_मयखाने में क़ैद है

वो तो चले गये किसी और को हमज़दा बनाकर

और आज भी हम उनकी यादों से इश्क लड़ाये बैठे हैं...


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