रिश्ते
रिश्ते
जब चाय की प्याली को छूकर
एक चुसकी लेकर देखा
होंठों से मीठी स्वाद को महसूस कर मन में समा लिया
सोचा के काश रिश्ते भी ऐसे होते....
चुटकियों में दिल छू लेते
भीतर छुपे मायूसी को पल में रिझा देते
और तृप्त सी भावना को एक दूसरे में बाँट लेते
फ़िर जाकर मैख़ाने में जाकर जाम छलका दिया
एक एक घूँट लेकर भीतर उतार लिया
नशा नशा सा रग रग में भर गया
होश तो था नही फिर भी दिल को महसूस कर लिया
कहा कि ये रिश्ते ऐसे तो नहीं होते
शाम में छलके जाम की तरह निक्कमे और कमजोर..
गम के सहारे पी लिये तो अकेले तनहा और बेहया
और खुशियों में बाँट कर पी गया तो पूरा समाँ बाँध लिया।
