यादें
यादें
नींद बहुत है आंखों में, सो ना सके मगर हम
पानी बहुत है आंखों में, रो ना सके मगर हम
दर्द छुपा है आंखों में, बंद ना कर सके मगर हम
किसी की खुशी की खातिर, जीते रहे मगर हम
मिल जाता गर मोड़ कोई, खुद ही छिप जाते हम
एक मौत की खातिर, आंखों को ना तरसाते हम
करके आंखें बंद, एक बार ही सो जाते हम।