Meenakshi Chauragade

Romance

4.7  

Meenakshi Chauragade

Romance

यादें

यादें

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आज फिर छेड़ा है किसी ने प्यार का किस्सा,

सुबह से ही मन में उमंग, 

होठों पर मुस्कान छाई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


खुद को निहारा है दर्पण में कई बार यूं तो,

आज दर्पण में भी कुछ और ही बात पाई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


चिढ़ जाती थी थोड़ा गुस्सा भी करती जिन बातों पर,

आज उन बातों पर भी हंसी आई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


यूं तो रोज ही सजाती हूं फूलों को गुलदस्ते में,

आज इनकी खुशबू से भी मदहोशी सी छाई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


यूं तो रोज ही सजती संवरती हूं,        

आज आंखों में काजल और बालों मे       

गजरे से रौनक छाई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


रख दी थी छुपाकर अलमारी में कहीं ,    

उस डायरी को फिर खोला है मैंने,

इसके पन्नों में गुलाब की खुशबू आज भी छाई है ,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


आज फिर आया है सावन,

पड़े हैं झूले बागों में,बस            

तुम्हारी ही कमी छाई है,

आज फिर तुम्हारी याद आई है।


वह प्यार नहीं पर प्यार जैसा ही था,       

दो दिलों में एहसास जैसा ही था,

प्यार तो वह है जो पत्थर में भी         

फूल खिलाता है,

प्यार तो इंसान के दिलों में भी  

ईश्वर को बसाता है,

बरसों बाद ये कलम कुछ लिख पाई है,

क्योंकि आज फिर तुम्हारी याद आई है ।



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