यादें
यादें
उसे याद हमारी क्यूँ आती नहीं
उसे वो बातें क्यूँ याद नहीं
वो सच थी या झूठ
क्यूँ हुए हम इतने दूर
वो याद क्यूँ आये जब
हर रिश्ता झुठा था
क्या थी गलती बता मेरे रब
क्यूँ है ये यादें जब इनका मोल नहीं
यादों से भरा समुन्दर है
मैं डूब जाऊँ या बिखर जाऊं
उसे याद नहीं क्यूँ वो पल
उसे दर्दों की आजमाइश का
क्यूँ नहीं है अहसास
कैसी ये यादें कैसा ये खेल
रब हो जा मेहरबान
किस्मत से ही सही मिला दे रब
क्यूँ है ये दूरी मिटा दे रब
खेल तेरा करिश्मा
दिखा दे रब।

