यादें बचपन की
यादें बचपन की
याद आ रहा है गांव का वह बचपन का समय।
दोस्तों के साथ खेलना किसी भी समय।
वो नदिया का किनारा
दूर तक छाई हरियाली
पेड़ों का झुरमुट,
और घूमना बेवजह।
किसको थकान थी,
यूं ही होती सुबह से शाम थी।
दोस्तों से मिलने की
वहीं पेड़ों के नीचे होती थी जगह।
आज शहरों के शोर में
तनावों के जोर में,
याद आते हैं वह शांत गांव
शहरों में कहां मिलेगी
गांवों सी वह ठंडी छांव।