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Dr Lalit Upadhyaya

Abstract

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Dr Lalit Upadhyaya

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याद आता है वो रिश्ता

याद आता है वो रिश्ता

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याद आता है वो रिश्ता,

देवकी यशोदा का वो किस्सा।

कृष्ण कन्हैया की माँ थी दोनों,

यशोदा के पास था ममता का हिस्सा।


रिश्ते कैसे बनते हैं अनकहे,

भूल कर भी जो सदा याद रहे।

बस फिर दिल से हर बार कहे,

बस नैनों से निर्झर नीर बहे।


तोता मैना की कहानी,

लैला मजनूं की दीवानी।

बातें हुईं नहीं है पुरानी,

रिश्तों की अनकही ज़ुबानी।


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