"व्यंग्य"
"व्यंग्य"
शोरगुल बहुत है,
शांति बहुत कम है।
खुशियां थोड़ी सी है,
चारों ओर गम है।
अजनबी से रहते हैं ,
यद्यपि एक घर में।
घर में बात होती नहीं,
मिलनसार हैं,शहर में।।
शोरगुल बहुत है,
शांति बहुत कम है।
खुशियां थोड़ी सी है,
चारों ओर गम है।
अजनबी से रहते हैं ,
यद्यपि एक घर में।
घर में बात होती नहीं,
मिलनसार हैं,शहर में।।