वसंत ऋतु की वो रात
वसंत ऋतु की वो रात
वसंत ऋतु की वो रात
मुझे आज भी स्मरण है
उस रात हुई हम दोनों के बीच की बात
सदा साथ निभाने का वो वादा
कभी हाथ न छुड़ाने का वो वादा
परिस्थिति कैसी भी हो
सदा मिलजुलकर मुश्किलें
दूर करने का वो वादा
सभी बातें आज भी मुझे याद है
तुमने हर बात में हाँ की थी
फिर क्यूं अगले ही दिन
तुम छोड़ गई सर्वदा के लिए
चहुंओर वसंत ऋतु के आगमन से
खुशियाँ ही खुशियाँ थी छाई हुई
फिर अचानक मेरे जीवन में आई बाढ़
ढह गए मेरे विश्वास
टूट गए वो सभी सपने
जो मैंने देखे थे
तुम तो एक पल में जूदा होकर
दूसरी की हो गई
और छोड़ गई जीवन भर रोने के लिए
इस जीवन में
पर याद रखना मुझे खोकर
तुमने अच्छा नहीं किया
मैं अंतिम साँस तक तुम्हें चाहूंगा
है इस बात की गवाह प्यारी प्रकृति
है इस बात की गवाह मेरी आँखें
जिसने हर वक्त तुम्हें देखना चाहा
प्रकृति गवाह है इस बात के लिए इसलिए
क्योंकि प्यारी प्रकृति भी जानती है
कि कितना चाहा है मैंने तुम्हें
मैंने अपना आज तुम्हारे बेहतर कल
के लिए कुर्बान किया था
हाँ मैंने अपना सर्वस्व समर्पित किया था
तेरी खुशी के लिए।