वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
छोड़ आया मैं उसे जो छोड़ आया था मुझे,
मेरा पहला था पर उसका ये अंतिम मोड़ है।
मैं उससे बदला ले आया जो बदलता आया है मुझे,
हर घड़ी था वो मुझको टोके, हर काम से पहले वो रोके।
कहता हर पल यू न जूझो, हर जगह न तुम यू कूदो,
पहले समझो फिर करो विचार, अवसर मिलता न बार बार।
मैं कर आया चुकता उसका सब उधार ,
जब था अबोध मैं वह ही लाया था मुझको विद्याद्वार।
अब खोया जो उसने है बोध सो मैं करता यह पुण्य कार्य,
वृद्धाश्रम में उसको डालु जो उसको अंतिम घर है।
मेरा सुत भी हो मुझसा ही यह मेरा इच्छित वर है।
