वृद्धा
वृद्धा


ख़ुद्दारी वफ़ा मेहनतकशी ईमान खाती है,
नई नस्ल पुरखों की फ़क़त पहचान खाती है,
ये कहकर बेटे ने बूढ़ी माँ को धमकाया,
मर क्यूँ नहीं जाती है दिन भर जान खाती है।
ख़ुद्दारी वफ़ा मेहनतकशी ईमान खाती है,
नई नस्ल पुरखों की फ़क़त पहचान खाती है,
ये कहकर बेटे ने बूढ़ी माँ को धमकाया,
मर क्यूँ नहीं जाती है दिन भर जान खाती है।