सावन की रुत
सावन की रुत
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रिमझिम-रिमझिम बादल बरसे पवन चले पुरवाई,
भारत का अभिनंदन करने सावन की रुत आई।
आसमान में काले बादल मस्तक तिलक लगाते हैं,
इंद्रधनुष के सातों रंग करके श्रृंगार सजाते हैं।
नदियाँ कल-कल साज़ बजाएँ ,हवा करे अगुवाई .
भारत का अभिनंदन..........
दादुर मोर पपीहा बोले ,झूमें रुत मतवाली,
पंचम स्वर में कोयल गाये बैठ आम की डाली।
बरखा रानी तीजों की ,अंजुली भरकर लाई ....
भारत का अभिनंदन.........
वृक्षों की शाखाएँ झुक-झुक, नमन आठों पहर करें,
दिन भर उड़ें पतंग बहुरंगी ,रात को जुगनू सैर करें।
झूला झूलें मौज मनाएं,'गोपाल' करे कविताई ........
भारत का अभिनंदन करने सावन की रुत आई।