वक़्त गुज़र जाएगा
वक़्त गुज़र जाएगा
भोर को इंतज़ार है शाम का
शाम बेचैन है रात के लिए
रात को पता है कि
पलक झपकते हीं वो बीत जाएगी
आँखें खुलते ही
वो अपने पास भोर को पाएगी
फिर भोर को इंतज़ार होगा शाम का
शाम बेचैन होगा रात के लिए
रात तड़पेगी भोर से मिलने के लिए
इसी इंतज़ार, बेचैनी और तड़पन
में वक़्त गुज़र जाएगा
दिन का दुःख
और रात का तड़पन
चारों दिशाओं में पसर जाएगा।
