इस बसन्त में आज है कहना, मन से मन का बंधन हो। इस बसन्त में आज है कहना, मन से मन का बंधन हो।
तैरन चाहे, खेलन चाहे संग पानी के मचली जाये। तैरन चाहे, खेलन चाहे संग पानी के मचली जाये।
और रात का तड़पन चारों दिशाओं में पसर जाएगा। और रात का तड़पन चारों दिशाओं में पसर जाएगा।