Antariksha Saha
Tragedy
मेरी तब भी नहीं चली थी
मेरी अब भी नहीं चली है।
चारो तरफ बेबसी और लाचारी है
ए खुदा तूने भी क्या बाकियों की तरह।
मुझसे वफाई निभाई है।
ख़ामोशी
मजदूर
झूठी मुस्कान
लक्ष्य
फ़ोन नंबर
मीठी चासनी
घर
angrayian
बंधा है किसने...
मै क्या तुम क...
आईने दिखा रहे, सही सूरत कम है मनु रूप धरे भेड़िये, कदम-कदम है आईने दिखा रहे, सही सूरत कम है मनु रूप धरे भेड़िये, कदम-कदम है
इस बदलते मौसम से डर रहे हो क्यों ? अभी तो बस मेरी ख़ामोशियों ने हीं चीखा है। इस बदलते मौसम से डर रहे हो क्यों ? अभी तो बस मेरी ख़ामोशियों ने हीं चीखा है।
जिन्हें ज़िंदगी में बसाने लगे । वही आज दिल को जलाने लगे।। जिन्हें ज़िंदगी में बसाने लगे । वही आज दिल को जलाने लगे।।
ये विज्ञापन हमें बेवकुफ बनाते हैं और हम सब जानकर भी फूले नहीं समाते हैं। ये विज्ञापन हमें बेवकुफ बनाते हैं और हम सब जानकर भी फूले नहीं समाते हैं।
आओ चले सुनाएं सबको महंगाई की गान। आओ चले सुनाएं सबको महंगाई की गान।
तड़प माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र… कभी भरपाई न हो पाएगी उस नेह की. तड़प माँ के प्यार की रहेगी ताउम्र… कभी भरपाई न हो पाएगी उस नेह की.
सपनों के सौदागरों के सपने हुए साकार और नाम हुए रोशन, सपनों के सौदागरों के सपने हुए साकार और नाम हुए रोशन,
मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं मेरा बेटी होना। मन में उठी चिंगारी आखिर क्या कुसूर हैं मेरा बेटी होना।
उसी रात,, फिर उसने खुद ही बाँधा दुपट्टे को .. अपनी गर्दन से बात दब गई थी. उसी रात,, फिर उसने खुद ही बाँधा दुपट्टे को .. अपनी गर्दन से बात दब ग...
इज्जत आबरू को लूटकर पवित्रता पे सवालात न करो, इज्जत आबरू को लूटकर पवित्रता पे सवालात न करो,
मैंने सोचा चलो मिला कोई जो मुझको खूब समझता है मैंने सोचा चलो मिला कोई जो मुझको खूब समझता है
एक बेबस लाचार पुरुष की कमजोरी कहीं बेपर्दा ना हो जाये। एक बेबस लाचार पुरुष की कमजोरी कहीं बेपर्दा ना हो जाये।
पर क्या कोई है, जिस तलब हो एक साफ मन की। पर क्या कोई है, जिस तलब हो एक साफ मन की।
सागर का किनारा आज कितना उदास है । तुम बिन ये मचलती लहरें भी हताश हैं ।। सागर का किनारा आज कितना उदास है । तुम बिन ये मचलती लहरें भी हताश हैं ।।
हम भूल गए सच में, अपनी संस्कृति- संस्कार। इसीलिए तो बन गए, वृद्धाश्रम यहाँ हजार। हम भूल गए सच में, अपनी संस्कृति- संस्कार। इसीलिए तो बन गए, वृद्धाश्रम यहाँ हज...
ग़लती ये हुई कि ,किसी को आईना दिखा बैठे, अपने सुकून में खुद ही हम आग लगा बैठे ।। ग़लती ये हुई कि ,किसी को आईना दिखा बैठे, अपने सुकून में खुद ही हम आग लगा बैठे...
न जाने कब आधुनिकता की दौड़ में, बदल गया प्रेम का अर्थ। न जाने कब आधुनिकता की दौड़ में, बदल गया प्रेम का अर्थ।
फिर शुरु होता है अस्तित्व का युद्ध जिसे मैं खुद मे लड़ती हूं पर मौन रहती हूं। फिर शुरु होता है अस्तित्व का युद्ध जिसे मैं खुद मे लड़ती हूं पर मौन रहती ...
मैं मिट्टी थी और रहूँगी मिट्टी ही, ईश्वर ने मुझे भेजा मेरे हृदय में अथाह प्रेम भरकर। मैं मिट्टी थी और रहूँगी मिट्टी ही, ईश्वर ने मुझे भेजा मेरे हृदय में अथाह प्रे...
आखिर कब तक नेपथ्य में छुपकर रहोगे। आखिर कब तक नेपथ्य में छुपकर रहोगे।