Antariksha Saha
Tragedy
मेरी तब भी नहीं चली थी
मेरी अब भी नहीं चली है।
चारो तरफ बेबसी और लाचारी है
ए खुदा तूने भी क्या बाकियों की तरह।
मुझसे वफाई निभाई है।
ख़ामोशी
मजदूर
झूठी मुस्कान
लक्ष्य
फ़ोन नंबर
मीठी चासनी
घर
angrayian
बंधा है किसने...
मै क्या तुम क...
“करोना को बहुत करीब से देखा, लोगों को अपनों से बिछुड़ते देखा। “करोना को बहुत करीब से देखा, लोगों को अपनों से बिछुड़ते देखा।
कुछ दाग नहीं धुलते, कुछ ज़ख्मों की दवा नहीं होती। कुछ दाग नहीं धुलते, कुछ ज़ख्मों की दवा नहीं होती।
भीगे नयनों से देखा मैंने भीषण जल प्रवाह, मृदुल वैभव बहा ऐसे, भीगे नयनों से देखा मैंने भीषण जल प्रवाह, मृदुल वैभव बहा ऐसे,
भारी भीड़ आबादी जहाँ अपनी ही चेष्टा में। निहित करें गौरव वहाँ कोलाहल आवेश में। भारी भीड़ आबादी जहाँ अपनी ही चेष्टा में। निहित करें गौरव वहाँ कोलाहल आवेश में।
अब कोई चेहरा पानीदार नहीं मिलता । किसी का गैरतमंद व्यवहार नहीं मिलता । अब कोई चेहरा पानीदार नहीं मिलता । किसी का गैरतमंद व्यवहार नहीं मिलता ।
किंचित भी तू शर्मिंदा है ? कहता तू खुद को ज़िंदा है? किंचित भी तू शर्मिंदा है ? कहता तू खुद को ज़िंदा है?
नशा कर क्या पाता तुम मानव कर नशा बन जाता दानव। नशा कर क्या पाता तुम मानव कर नशा बन जाता दानव।
किरदारों में नए रूप में ढलते हुए, मैने देखा है औरतों को रोज एक नई औरत बनते हुए... किरदारों में नए रूप में ढलते हुए, मैने देखा है औरतों को रोज ए...
आज हमारा युवा वर्ग क्यों पड़ा हुआ लाचार कहीं। आज हमारा युवा वर्ग क्यों पड़ा हुआ लाचार कहीं।
देश में लोकतंत्र की संवैधानिक विफलता पर चर्चायें चल रही हैं। देश में लोकतंत्र की संवैधानिक विफलता पर चर्चायें चल रही हैं।
अनकही उदासी.. कभी कभी करती है पीछा.. अनकही उदासी.. कभी कभी करती है पीछा..
देखो कैसा समय अब आ गया है आदमी ही आदमी से डर गया है। देखो कैसा समय अब आ गया है आदमी ही आदमी से डर गया है।
बहरूपिया भ्रष्टाचार दिख रहा चारों ओर है, धर्म कर्म का काम करते असल में ये चोर है. बहरूपिया भ्रष्टाचार दिख रहा चारों ओर है, धर्म कर्म का काम करते असल में ये चो...
नसीब में नहीं था एक मुकम्मल जहान पैरों तले जमीन और सिर पर आसमान। नसीब में नहीं था एक मुकम्मल जहान पैरों तले जमीन और सिर पर आसमान।
प्रियजन थे जो हमसे बिछड़े, बन तारे अम्बर पर बिखरे। प्रियजन थे जो हमसे बिछड़े, बन तारे अम्बर पर बिखरे।
सड़कों पर देश जा उभरता लहू उबल रहा , या बह रहा है. सड़कों पर देश जा उभरता लहू उबल रहा , या बह रहा है.
सत्ता हो हासिल जैसे भी कैसे, साम, दाम, दंड ,भेद सभी अपनाते हैं। सत्ता हो हासिल जैसे भी कैसे, साम, दाम, दंड ,भेद सभी अपनाते हैं।
पढ़ पढ़ कर,डिग्री लेकर, बहुत मचाया हमने शोर, पढ़ पढ़ कर,डिग्री लेकर, बहुत मचाया हमने शोर,
गर्भ में चिन्हित की जाने कोशिशें और फिर भ्रूण हत्या के प्रयास,,,,, गर्भ में चिन्हित की जाने कोशिशें और फिर भ्रूण हत्या के प्रयास,,,,,
जब तक इस दुनिया में आप लोगों का मतलब निकालते रहेंगे तब तक ही आप उन लोगों के लिये आंखों जब तक इस दुनिया में आप लोगों का मतलब निकालते रहेंगे तब तक ही आप उन लोगों के ल...