वफ़ा कर सनम आज़म से
वफ़ा कर सनम आज़म से
हाँ मगर उम्मीद रख उससे वफ़ा की तू नहीं
दे उसे आवाज दिल से यूं सदा की तू नहीं ।।
साथ देगा ज़िन्दगी में वो नही तेरा कभी ।
कर उसी से गुफ़्तगू हाँ आशना की तू नहीं ।।
हाँ नहीं देगा दुआ तुझको कभी वो बेवफ़ा
कर मगर दरखास्त उससे ही यूं दुआ की तू नहीं ।।
तू मुहब्बत को मुहब्बत ए सनम रहने भी दे ।
दे मुझे दरकार यूं हर पल जफ़ा की तू नहीं ।।
जी नहीं पाऊंगा तेरे बिन अकेले गांव में ।
हाँ मगर यूं ही हवाएं दे जुदा की तू नहीं।।
लोग होते है ख़फ़ा तुझसे यहाँ जो इसलिए
शर्म चेहरे पर मगर रखता हया की तू नहीं ।।
तू पिला कॉफी मुहब्बत की हमेशा प्यार से
चाय आज़म को पिला मत यूं ख़फ़ा की तू नहीं ।।
