वो पल
वो पल
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जिनमें तुम याद आते हो
वो पल याद रह जाते है
दिल की भीतरी तह में कहीं
और जब तुम नहीं होते पास
वो पल ज़िन्दगी बन जाते है
उन पलों का हिसाब
रखा है मैंने
दिल की किताब में
तुमको मिले ग़र फ़ुरसत ज़रा
तो आकर पढ़ लेना तुम
ज़िक्र अपना मेरी दिल की किताब में
जाने कितनी किताबें पढ़ी तुमने
बस छोड़ दिया एक किताब को
जाने कितने हिसाब बिगाड़ दिए
इस एक किताब ने
जब भी तन्हा लौटो
ठुकरा दिए जाओ तुम
जब भी कभी अपनी ही
नज़रों में
वज़ूद न पाओ तुम
या कभी आहटें वक़्त की
तुम्हें यूँ सताने लगे
तुम्हारी अधूरी ख़्वाहिशें तुम्हें
उन पलों की याद दिलाने लगे
तो लौट आना पास मेरे
मेरे लिए न सही
अपने लिए ही सही
और मांग लेना बेझिझक
उन पलों को
जिन पलों ने मुझे
ज़िंदा रखा है अब तलक़
वो पल मेरे पास
तुम्हारी ही अमानत है
उन पलों की बन्दगी
मेरी इबादत है