STORYMIRROR

Shweta Chaturvedi

Abstract

3  

Shweta Chaturvedi

Abstract

वो इंसान नहीं

वो इंसान नहीं

1 min
215

कैसे कह दूँ उसे इन्सान 

जिसने चाक़ू की धार से 

उस नन्हें बच्चे को 

ख़ून से नहलाया होगा 


कैसा निर्दयी था

जाने कौन सा भयावय विचार

उसके निष्ठुर मन में आया होगा

न दहला होगा उसका दिल क्या

जब बच्चा दर्द से छटपटाया होगा

 

मेरी आँख भर आयी जब 

उस अंजान नन्हें फ़रिश्ते के लिये,

सोचो क्या बीता होगा उसकी माँ पर

जब दम तोड़ने से पहले उसने 


माँ बोल के जब कराहा होगा

पास नहीं थी वो पर 

बच्चे की आह से दिल उसका 

कितना घबराया होगा 


कितना टूट गया होगा वो पिता 

जो पढ़ कर कुछ बनाने के लिए

अपने छोटे से शहज़ादे को


स्कूल छोड़ के आया होगा

न आयेगा वापस उसका बेटा

ऐसा ख़्याल भी 

न कभी ज़हन में आया होगा


कहाँ खो रहा है इंसान

कैसे खो रही है इंसानियत

न डर, न दर्द, न दया। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract