वो हमारी यारियां...
वो हमारी यारियां...


बीता वह हर लम्हा एक अरसे के बाद याद आया,
याद आई वो शरारतें और दोस्तों संग मस्तियां,
समय की रफ्तार से बदल चुका सब कुछ,
लेकिन कभी- कबार याद आ जाती है
दोस्तों की वह छेड़खानीया,
कहीं बार किसी एक क्लास से बोर
होकर एक साथ वहां से भाग जाने की,
याद आई हमारी वह कहानियां,
मस्त थी वो जिंदगी न था किसी का गम और ना ही थी
किसी की हमारी जिंदगी में गुस्ताखियां,
अलग ही था वो एक सुकून क्योंकि दिन होते
ही देखने को मिलती थी नई खुशियां,
कहीं बार उदास भी कर जाती थी
दोस्तों की नाराजगी और वो खामोशियां,
लेकिन फिर भी कुछ अलग ही थी वह हमारी यारियां।