वो आम आदमी !
वो आम आदमी !
कल रात नींद में वो इतना डर गया
रोटी तब मिला उसे, जब भूख मर गया
बच्चों को बिठाकर, कंधे पर नंगे पाँव
सैकड़ों मीलों का सफ़र, वो जो कर गया
ना बोनस मिला उसे, ना छुट्टी मिला उसे
फिफ्टी परसेंट सैलरी पर, नौकरी कर गया
वो आम आदमी था उसे भूख लगी थी
लौटा नहीं गाँव, जब से शहर गया
उसे सर्दी खांसी थी मौसमी बुखार था
लोगों को लगा वो कोरोना से मर गया
कल रात ....
रोटी तब ...