वो 14 फरवरी की शाम
वो 14 फरवरी की शाम
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क्या याद है वो
14 फरवरी की शाम
जब खून हर देशभक्त का खौला था
जब मेरे गांव तिरंगे में लिपटकर
वो जवान आया था।
कैसे भूले वो शाम
कैसे मनाऊँ ये दिन प्यार का
जब किसी के मेंहदी के हाथों से
मंगलसूत्र उतारे था
जब किसी की बूढ़ी निगाहों ने
रस्ते को यूँ ताका था
कहके हम सबको अलविदा यूँ वो
भारत माँ की खोद में समाया था।