STORYMIRROR

Tarusha Tak

Tragedy

3  

Tarusha Tak

Tragedy

वो 14 फरवरी की शाम

वो 14 फरवरी की शाम

1 min
323

क्या याद है वो

14 फरवरी की शाम


जब खून हर देशभक्त का खौला था

जब मेरे गांव तिरंगे में लिपटकर

वो जवान आया था।


कैसे भूले वो शाम

कैसे मनाऊँ ये दिन प्यार का

जब किसी के मेंहदी के हाथों से

मंगलसूत्र उतारे था


जब किसी की बूढ़ी निगाहों ने

रस्ते को यूँ ताका था


कहके हम सबको अलविदा यूँ वो

भारत माँ की खोद में समाया था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy