STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

3  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

वन्देमातरम का गान हूं

वन्देमातरम का गान हूं

1 min
36

मैं वन्देमातरम का गान हूं

मैं हिंदुस्तान का सम्मान हूँ

मैं कोई कोरा गीत नही हूँ,

हिंद के कलेजे का अक्षर हूं,

इससे बता रहा आन हूं

मैं हिंदुस्तान की शान हूं

मैं हिंदुस्तान की जान हूं

मैं वन्देमातरम का गान हूँ

शीश भले कट जाते है,

फिर भी झुक नही पाते है,

मैं हिंदुस्तानी वीरों का गान हूं

मैं हिन्द के लहूं का बलिदान हूं

मैं तिरंगे का स्वाभिमान हूं

मैं वन्देमातरम का गान हूं

अधरों पे छाई मुस्कान हूं

वीरांगनाओं का अभिमान हूं

दुष्टों को मारनेवाली तलवार हूं

सस्य,श्यामला धरा की खान हूं

मैं वन्देमातरम का गान हूं

मां भारती का वस्त्र महान हूं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational