"वक्त"
"वक्त"
छोड़ दो, अब व्यर्थ की बाते
वक्त के साथ रखो, रिश्ते नाते
किसी की न चले वक्त-आगे
इससे सुख-दुःख आते-जाते
वक्त को जो, यहां मित्र बनाते
वो लोग ही इतिहास बनाते
लोग याद करते, उनकी बातें
जो वक्त की कीमत, बताते
वक्त बनाता उन्हें ही शहजादे
जो वक्त के साथ, चलते जाते
जो समय को बर्बाद करते है
फिर वक्त बताता, करामातें
कोई करता है, यहां मजदूरी
कोई करता है, यहां जी हुजूरी
किसी के पड़ते खाने के लाले
तो कोई खाता, लोगों की लाते
वक्त का तू, सदुपयोग कर,
वक्त की समझ, तू सौगातें
वक्त के आगे तो झुक जाते
दुनिया में अच्छे-अच्छे माथे
वक्त सखा है, वक्त बंधु है
जो यह बात समझ जाते
वो यहां कभी नहीं पछताते
वक्त बिठाता, उन्हें सिर-माथे
वक्त के साथ, चले जो इरादे
वो फ़लक तक को झुकाते
मिट जाती है, वो अंधेरी रातें
जो सही समय दीप जलाते।
