वक्त
वक्त
हालात अच्छा और बुरा दोनों ही आता है,
वक्त साथ दे तो हर कोई सम्भल जाता है।
वक्त है कम पर बहुत कुछ सिखना है,
तकदीर अपनी खुद के हाथों लिखना है।
बचपन बीता खेल में, जवानी दोस्तों के साथ,
नहीं सुधर पाया तो कुछ ना आएगा हाथ।
अब वो धीरे धीरे बूढ़ा होने को आया
सोच में डूबा कि मैंने बहुत कुछ है गवायाँ।
जोश जागा अंदर से अब कुछ करना है,
नाम कमाएं बिना नहीं मुझे मरना है
रूचि थी साहित्य और कलाकारी में
नाम करना चाहता था दुनियादारी में।
कविता, कहानी, कई साहित्य भी लिखें
वक्त बुरा जो तकदीर में कुछ भी ना टिकें।
आएगा हाथ नहीं सोचकर रूक जाता,
वक्त रहा इसलिए झुक जाता।
दिन-रात, भूख-प्यास की खबर नही थी,
साहित्य में जिंदगी उसकी निकल रही थी।
मशहूर हस्तियों की नजर में रचनाएँ आई,
लोगों के मन को वाकई में खूब ही भाई।
कई लोगों के बीच खुद को उजागर किया,
स्टोरी मिरर से रचनाओं को प्रकाशित किया।
वह अपनी दुनिया में पहचान बनाने लगा,
सितारों की चकाचौंध में फिर छाने लगा।
मर गया वो और कब्रिस्तान में घर हुआ,
वक्त के साथ वो और भी अमर हुआ।
जो लोग वक्त से काम कर जाते हैं,
बस वों ही नाम अपना अमर कर पाते हैं।