वक़्त
वक़्त


वक़्त बुरा है तो क्या, गुज़र ही जाता है।
इंसान जीना सिख ही जाता है।
इरफ़ान को खोज, कि माज़ी जा चूका है,
जो दफन है अंधेरों में कहाँ लौट के आता है।
दुआ ज़िन्दगी की कर मरना तो लाज़मी है,
मौत के सन्नाटे में क्यों जीये जाता है।
मुस्कुराने की क़ीमत कोई नहीं है यहाँ,
आह-ओ-ज़ारी की क्यूँ खरीद लाता है।
तेरे जीने से बदले ज़िन्दगी ये ज़रूरी है,
कहने को तो इंसान कई बार जल जाता है।
वक़्त बुरा है तो क्या, गुज़र ही जाता है।
इंसान जीना सीख ही जाता है।
इरफ़ान: Enlightenment
आह-ओ-ज़ारी: Lamentation
लाज़मी: Compulsory