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Dev Sharma

Inspirational

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Dev Sharma

Inspirational

वक्त वक्त की बात

वक्त वक्त की बात

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वक्त वक्त की बात है यहाँ साहब,

पत्थर पड़े निशान भी  बदल दिए जाते हैं।

वक्त आये थोड़ा सा बेहतर तो तमाशा देखो,

बोलने तक के अंदाज भी बदल दिए जाते हैं।।


कल तक न जुबां थी पास जिनके,

आज मौसम आया खूब चिल्लाते हैं।

वो देखो कुदरत के करिश्मे को भी वो,

आज नाम खुद के करिश्मे का दिए जाते हैं।।


जो रंग सियासत की गलियों में ढलता था,

वो सिर चढ़ा अब सब गीत अनोखे गाते हैं।

बस होड़ लगी है बुलंदियों को छूने भर की,

सुर न भी हो तो क्या?साज बदल दिए जाते हैं।।


उम्मीदों की कलियां खिलती हैं शहर में,

गाँव बन निरीह,वीरान उजड़ते जाते है।

कभी भूले से वापिस लौट भी आए तो क्या?

आते ही अपने रीति रिवाज बदल दिए जाते हैं।।


कल तक जो मानते थे रहबर मुझको अपना,

आज सामना होने पर आँख घुमाए जाते हैं।

आज चलन ये जमाने का कुछ समझ आया,

दौलत मिलते ही रिश्ते भी बदल दिए जाते हैं।।


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