वक्त की कद्र
वक्त की कद्र


वक्त की कर लो आज कदर,
जीवन सवर जाएगा।
जो न समझ वक्त को,
यह लौट के न आएगा।।
खुशी के ये हैं अनमोल पल,
जी ले जी भर के आज।
मुस्कान के होंगे हर कल,
जो सजा ले हम ये साज।।
बुजुर्गो के आँचल की छांव जहाँ,
संस्कार वहाँ ही पलते हैं।
नारी का सम्मान जहाँ,
पुष्प वही पर खिलते है।।
हैं बहुत जरूरी आज,
धरा को महकाना।
यही है सुरमयी साज,
गीत मिलकर गाना।।
प्रगति अपार हम करे,
पर मूल से रहे जुड़े।
वरना खो कर खुद को,
कैसे रहेंगे हरे भरे।।
मनुजता के हर जख्म पर,
इलाज आज जरूरी हैं।
जीवन के इस पड़ाव पर,
सुमति बहुत जरूरी हैं।।
हमारी संस्कृति हो हमारी शान,
इसका हो अब सम्मान।
ये अपार गुणों की खान,
करे सदा सब जन कल्याण।।
गढ़े श्रेष्ठ मानव अब,
हर जन का ये भाव रहे।
समाज निर्माण में सबकी,
अहम भागीदारी रहे।।