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Praveena kumari

Tragedy

4  

Praveena kumari

Tragedy

वक्त का मिज़ाज

वक्त का मिज़ाज

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239


लगे दिलकश हरेक अंदाज़ ये जरूरी तो नहीं

सब दिल से ही दे आवाज़ ये जरूरी तो नहीं।1


सच है भुगतनी पड़ती है सजा बेनियाज़ी की

मगर हो हर बंदा बेनियाज़ ये जरूरी तो नहीं।2


तोड़ देती हैं ये दुश्वारियां भी हम इंसानों को

रहें हमेशा ही खुशमिज़ाज ये जरूरी तो नहीं।3


होती है नाराज़गी यूँ तो अक्सर ख़ुद से ही

हमेशा ख़ुद से हों नाराज़ ये जरूरी तो नहीं।4


बदलते हैं हालात वक्त के मिज़ाज के संग

कल के जैसा ही हो आज ये जरूरी तो नहीं।5


माना होते हैं मरासिम ज़िन्दगी में यूँ तो कई

मगर हो हर रिश्ते पर नाज़ ये जरूरी तो नहीं।6


होती है चाह पहुँचने की जमी से फलक पर

हर कोई भर सके परवाज़ ये जरूरी तो नहीं।7


कर सके कैद अश़्कों को हर कोई आँखों में

सब हो ऐसे ही कलाबाज़ ये जरूरी तो नहीं।8


होती है गुफ्तुगू रोज़ अपनों और गैरों से भी

मगर हो जाए सब हमराज़ ये जरूरी तो नहीं।9


लिपट जाती है उदासी मुख्तलिफ दर्द से भी

हर वक्त तबियत हो नासाज़ ये जरूरी तो नहीं।10


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