STORYMIRROR

Yashodhan Waghmare

Tragedy Inspirational

2  

Yashodhan Waghmare

Tragedy Inspirational

वक्त का गुमान

वक्त का गुमान

1 min
21

कितने लोग सुसाइड कर रहा है

कोई कोई तो परिवार के साथ मर रहा है, 

परेशान तो सब है

लेकिन जिसका कोई नहीं वो कैसे जी रहा है....? 

जिसके हाथ नहीं, पैर नहीं,

ज़ुबान नहीं, कान नहीं, आँख नहीं, 

वो क्यो हार नहीं मान रहा है....? 


फुटपाथ पर भी जीते हैं कुछ लोग,

तू  इस वक्त काे क्यु गुमान  रहा है...? 

हिम्मत नहीं रही तो कोई बात नहीं

सबर से काम ले 

काट इसे सजा समझकर

तू यूं ना अपनी जान दे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy