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Monika Sharma "mann"

Abstract

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Monika Sharma "mann"

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वक्त का दरिया

वक्त का दरिया

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यह वक्त का दरिया यूंँ ही बहता जाएगा 

कहीं ख्वाहिशें तो, कहीं तमन्नाओं को बहाएगा। 


बदल जाओगे तुम अपनी जरूरतों की तरह की

दरिया का पानी यूंँ ही बहता जाएगा।


ना खोना अपनी वास्तविकता को आईना तो हकीकत ही

बताएगा ठहरा पानी जहर है बहता तो अमृत बन जाएगा।


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