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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

विवशता

विवशता

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हर ओर फैली सिर्फ़ बेचैनी है

व्याकुलता है,कुलबुलाहट है

न खुलकर जिया जा रहा है,

न ही आसानी से मरने की

उम्मीद कहीं से दिखती है।

कहीं मौत की अठखेलियाँ हैं

तो कहीं लाशों की बेकद्री 

कहीं जमीन पर मरने जीने की

जद्दोजहद के बीच साँसो की

कहीं अस्पताल में जगह पाने की

उम्मीदी ना उम्मीदी का दृष्य।

मृत्यु के मुँह में जाता यथार्थ,

सब कुछ अनिश्चित ही तो है

साँसो की बाजीगरी देखिए

तो धनपिशाचों की बेशर्मी भी,

परंतु कुलबुला कर ही रह जाती

असहाय लाचार फरियादी बन,

सिवाय कुलबुला कर रह जाने के

कुछ कर भी तो नहीं पाती।

उम्मीद लगाए बुझी आँखों में

एक किरण की तलाश करती

दबी कुलबुलाहट ,सिसकियों संग

सब कुछ हार कर सिर पीट लेती

रोना बिलखना सिसकना भी

कठिन सा हो गया है लेकिन

कुलबुला भी नहीं पाती खुलकर

विवशता साफ चेहरे पर दिख जाती।



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