विश्वास।
विश्वास।
मन पर यदि "विश्वास" है तुमको हर मुसीबत आसान होती है।
जीवन के हर मोड़ पर तुमको एक नई दिलासा देती है।।
मन पर छाये विकार हैं जितने पल भर में तेरे छठ जायेंगे।
लोहा भी सोना बन जाता पारस रूपी गुरु ही तुझको भायेंगें।।
काम,क्रोध,मद,लोभ हमारे क्षण मात्र में हट जायेंगे।
ब्ह्मम रूप तेरा तब होगा जब सद्गुरु पास बुलायेंगे।।
साधना रूपी अमृत को पाकर चित्त निर्विकार हो जाएगा।
परिवर्तन होगा नवजीवन तेरा निर्मल हृदय बन जाएगा।।
मन का यदि विश्वास न तोड़ो तो हर लहर एक किनारा है।
"नीरज" तेरी अंतिम घड़ियों में सद्गुरु ही एक सहारा है।।
