विश्वास
विश्वास
कष्ट यदि श्वास हरे
छाती फुला स्वयं में तू विश्वास भर।
हार यदि निराश करे
मुस्कुराकर तू उसे हताश कर।
अश्रु यदि बोझ लगें
नेत्रों में तू पुनः नूतन ओज भर।
असत्य यदि भोज करे
अटल सत्य की तू खोज कर।
सूर्य यदि क्रूर लगे
नमन कर उसमें तू सुकून भर।
चाँद यदि दूर लगे
चंद्रयान बन तू उसकी ओर कूच कर।
श्वेत यदि स्वप्न बने
बन तूलिका तू उनमें रंग भर।
मौत यदि जश्न करे
हँस कर तू उसी से प्रश्न कर।
