विशेष
विशेष
तुम विशेष हो ,
क्योंकि शेष होने से
बचाया है मुझे ।
मेरे होने का भान कराया है
मेरे अस्तित्व को स्वीकारा है
और इस पुरूष प्रधान समाज में
मुझे , मेरी भी अपनी एक पहचान बनाने का अवसर दिया है ।
मैं अधिक गौरवान्वित होती हूं
तुम्हारी पहचान से पहचानी जाने पर ।
मगर फिर भी ..........
कभी कभी यूं ही
अच्छा लगता यह सोचकर
कि मेरी भी एक पहचान है
पिता की पुत्री , पति की पत्नी
और अपनी संतान की मां होने के अलावा
भी मैं एक हस्ती हूं शिक्षिका , लेखिका ,
रचनाकार , साहित्यकार और कवियत्री हूं ।
यह सब तभी मुमकिन हुआ है जब तुमने मुझे
खुला आसमान दिया है स्वच्छंद उड़ान भरने को ।