विकलांग
विकलांग
हर रोज़ तुम्हें खत लिखता हूँ
एक नहीं दस दस लिखता हूँ
आधे में जीवन लिखता हूँ
आधे में विकलांगता पर लिखता हूँ
पंच परमेश्वर से शिकायत करता हूँ
कभी-कभी पंचतत्व में विलीन हो जाता हूँ
शब्दों की मायाजाल पर सोचता हूँ
विकलांग से दिव्यांग कैसे हो जाता है।