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Preeti Sharma "ASEEM"

Abstract

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Preeti Sharma "ASEEM"

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विकास की नज़र

विकास की नज़र

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 फिर भी देश वासियों 

 विकास ही नज़र आयेगा  

आज़ादी के मूल्यों का  

देश क्या -क्या मूल्य चुकायेगा

अब तक देश ही जानता है

राजनीतिक दलों द्वारा 

कितना घसीटा जायेगा


फिर भी देश वासियों 

विकास ही नज़र आयेगा

सभ्यता की आड़ में 

विदेशी रंग चमचमायेगा

अपना देश गंदा 


विदेश साफ ही नज़र आयेगा

मेरा भारत झाड़ू पकड़ के 

स्वच्छता अभियान चलायेगा

फिर भी देश वासियों 

विकास ही कहलायेगा


शिक्षा जो आधार है 

एक देश के विकास का

मानवता के बौद्धिक उत्थान का

आरक्षण से कौशल का

नाश कर जायेगा

योग्य रह जाएंगा पीछे 

सरकारी पदों पे 

आरक्षण का कोढ़ चढ़ आयेगा


फिर भी देश वासियों 

विकास ही नज़र आयेगा

कानूनों को अनुछेदों में रखकर

रिश्वत का कानून बन जायेगा

जुर्म अत्याचार बलात्कार का 

ग्राफ चाहे बढ़ता ही जायेगा


 फिर भी देश वासियों

विकास ही नज़र आयेगा

नैतिकता के मानों पर 

सकींर्णता के पैमाना लग जायेगा

वेदों की जगह  

मैजिक बाबा आ जायेगा

मन की शांति का तो तो पता नही

पर शांति संग पकड़ा जायेगा


 फिर भी देश वासियों

 विकास ही नज़र आयेगा  

झूठ के पीछे भीड़ होगी

सच अकेला रह जाएगा

जीवन की इस दौड़ में 

आदमी मशीन बनकर रह जायेगा

कोई समझेगा उसे

यह सोच सपना बनकर रह जायेगा

फिर भी देश वासियों 

विकास ही नज़र आयेगा


सरकार की नीतियों के फेर-बदल में 

आम आदमी पिस कर रह जायेगा  

मेरे जैसा कोई भुलक्कड़

जमा किया एक हज़ार


रख कर भूल जायेगा

फिर मिलने पर उन 

कागज़ के टुकड़ों से क्या पायेगा

काला धन मिला या नहीं

किसी गरीब का एक सिक्का भी जायेगा

फिर भी देश वासियों 

विकास ही नज़र आयेगा


जो समाज में चाहते हैं

बदलाव आये 

वो चर्चाये विवादों तक ही रह जायेगा

जिनकी कोई नहीं सुनता

वो विचारवान फेसबुक पर 

नज़र आयेगा

गूगल जिस विकास को ढूँढ रहा है

वही विकास 

विकास को खोजता नज़र आयेगा


कुछ इस तरह से विकास 

विकास कर पायेगा

एक दिन विकास जरूर जीत जायेगा।


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