विजयपथ
विजयपथ
विजयपथ पर
जब कोई बढ़ता है
आपस में द्वेषभाव
बढ़ता जाता है
किसी - न - किसी को
विनाश की ओर
ले जाता है
जीवन दूभर
हो जाता है !
भाई - भाई हो
अच्छे दोस्त हो
पति - पत्नी हो
एक दूसरे को
आगे बढ़ता नहीं
देख पाते हैं !
पति - पत्नी दोनों
नौकरी करते हों
नई - नई शादी हुई हो
पति कहीं ,पत्नी कहीं
दूसरे शहरों में
नौकरी करते हैं
हफ्ते में एक - दो दिन
छुट्टी में मिल पाते हैं
ट्रांस्फर जल्दी होता नहीं !
सरकारी हो, प्राइवेट हो
समय - बेसमय तक
बॉस काम कराते हैं
पत्नी का बॉस पुरूष है
पति की बास महिला है
शक में गलतफहमियां
अक्सर हो जाती हैं !
जीवन की राहें
दूभर हो जाती हैं !
विजयपथ की राहों में
अड़ंगे आ जाते हैं !
नौकरी की राहों में
अक्सर ऐसी ही
मजबूरियाँ आती हैं !
ऐसे में जोश से नहीं,
होश से काम
लेना चाहिये
एक - दूसरे की
मजबूरियों को
आपस में समझकर
सुलझाना चाहिये !
विजयपथ की राहें
हल हो जाएंगी
जीवन की राहों में
सफलता दिलाएंगी
खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी...।