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वीरों की गाथा

वीरों की गाथा

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उन वीरों की कहानी सुनो मेरी जुबानी

उस मां से पूछो हाल जो रहती है बेहाल।


ना जाने कब खबर आ जाए

उनका आंचल खाली हो जाए

उनका लाल उन्हें छोड़ ना जाने

कब धरती मां की गोद में सो जाए।


उनकी बहनों से पूछो उनका हाल जो रहती है बेहाल

ना जाने कब उनका भाई उन्हें छोड़ चला जाए

उनकी रक्षा ना कर धरती मां की रक्षा में मिट जाए

उस पिता से पूछो हाल जो रहते हैं बेहाल।


ना जाने कब उनकी लाठी टूट जाए

और वही अकेला बेटा धरती मां का सहारा बन जाए

पूछो उसकी उस पत्नी से जो उसके सहारे आती है

वह यह भी नहीं जानती ना जाने कब वह सहारा छूट जाए।


उसकी मांग का शोभा देने वाला

सिंदूर ना जाने कब मिट जाए

और उस तिरंगे में लिपटा उसका सुहाग चला आए

पूछो वह दो दिन के बच्चे का हाल।


वह यह भी नहीं जानता कौन है उसका पिता

ना उसे प्यार मिला ना मिला दुलार

वह यही पूछता क्या था कसूर मेरा भगवान

पूछो उन वीरों से जो जाते हैं मातृभूमि के नाम।


साथ में लेकर मां की ममता पिता का दुलार

बहन का प्यार पत्नी बच्चों का संसार।


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