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Churaman Sahu

Inspirational

4  

Churaman Sahu

Inspirational

वीर शहीद

वीर शहीद

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मेरा क़लम अड़ गया 

लिखना चाहा मैं किसी नेता के बारे में

तो मेरे और क़लम के बीच जंग छिड़ गया


क़लम कहता हैं 

अपना क़ीमती वक़्त और 

मेरा स्याही को फ़िज़ूल में ना बहा 

मेरी आदत वीर शहीदों की शहादत लिखने की हैं

जो थे भारत माँ के सच्चे सपूत 


किसी ने कच्ची उम्र में खायी थी गोलियाँ 

तो कोई हँसते हँसते फाँसी पर झूल गये 

अगर लिखना पड़े,अगर लिखना पड़े 

तो फिर से इंक़लाब लिखूँगा 

फिर से इंक़लाब लिखूँगा ।।


जलती चिता,उड़ता धुआँ 

हो गया सुनी  आज माँ का आँचल यहाँ 

अब किसकी कलाई को राखी बांधेगी बहना

मिट गया ओ लाल सीमा पर

जो था किसी के हाथो की मेंहदी


और किसी के माथे का गहना

अगर लिखना पड़े,अगर लिखना पड़े 

तो माँ के लाल की ललकार लिखूँगा

माँ के लाल की ललकार लिखूँगा।


मेरे देश की मिट्टी आज भी हैं चंदन 

जहाँ होती हैं अजान और गीता का वंदन

जहाँ पढ़ते हैं बाइबिल और बहती हैं

गुरु गोविंद साहेब की अमृत वाणी 


हमारे सब्र का और इंतहा ना ले कोई 

ख़ून में उबाल अब भी हैं नहीं हुआ ओ पानी 

अगर लिखना पड़े,अगर लिखना पड़े 

तो भारत माता की जय जयकार लिखूँगा

भारत माता की जय जयकार लिखूँगा।


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