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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Inspirational

वीर सैनिक

वीर सैनिक

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सीमाओं पर डटें, जो देश की रखवाली करतें हैं

बिना स्वार्थ हित लाभ के जो पहरेदारी करतें हैं

सर्दी शीत धूप ताप से जो लड़ते रहतें हैं प्रतिक्षण

उनकें त्याग वीरता की तो सब कहानी कहतें हैं,


जिनकी इच्छा तृष्णा तो मन में ही दब जाती हैं

जिनकी सतर्कता से होली दीवाली सब आती हैं

जिनकी पहरेदारी से ईंद क्रिसमस भी आता हैं

वरना सबकी ख़ुशी नज़ारें पल में ही दब जाती हैं ,


अपना शीश कटा कर,हम पर आंच नहीं आने देता

बात कितनी भी कठिन हो, बात नहीं आने देता

ओ रक्षक भक्षक बन जाता, हैं दुश्मनों के टोली पर

एक एक को मारता हैं, बच कर नहीं जाने देता,


घर से दूर,क़भी किसी से मग़र नहीं शिकायत करता

पद पैसा प्रतिष्ठा ख़ातिर क़भी नहीं ज़ियारत करता

हरदम कर्तब्य निभाता हैं डटकर सीमा पर जी जान से

ख़ुद की ख़ातिर क़भी किसी से कोई नहीं सिफारश करता,


उनके बल से ही देश में आज़ादी की आहट हैं

उनके वीर बल से क़भी आती नही मुसीबत हैं

उनकें रूह खून में हरदम सूर्य शिखा सी गर्मी हैं

फिर भी देखों मुखड़े पर तो दिखती बस मुस्कुराहट हैं ,


सज़ग सर्तक हरदम रहतें हैं दुश्मनों की चाल से

सिर उच्छेदन कर देते हैं इरादों के अपने भाल से

उनका मज़हब भारत भारती और देश की माटी हैं

जिसकी रक्षा करतें हैं समझकर अपने परिवार से ,


उनके पांवों की धुली माथें पर लगाने लायक हैं

उनका खून पसीना तो अति गंगा जल से पावन हैं

जो उनका चारण गाता हैं,ओ ही असली गायक हैं

उनके पथ जो चलता है, बनता एक दिन नायक हैं।


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