वीर क्षत्राणी
वीर क्षत्राणी
मैं बेबस लाचार नहीं
नाज़ुक कली गुलनार नहीं
गलती से भी टकरा न जाना
मैं हूं इस युग की वीर क्षत्राणी
आज से मेरी यही कहानी
न है आंखों में पानी
न हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाने वाली
बहती हरदम गर्म लहू की धारा
जिसने भी हमें है कमजोर पुकारा
उसको हरदम हमने ललकारा
मैं हूं इस युग की वीर क्षत्राणी
बदल डाली हमने अब अपनी
पुरानी कहानी
रोती गिड़गिड़ाती अश्क बहाती
भूल जाओ यह बात पुरानी
आज की मैं हूं लक्ष्मी बाई
तलवार से हमने तलवार लड़ाई
अबला नहीं सबला हूं मैं
हाथों में अपने है हमने कटार उठाई
गलती से भी टकरा न जाना
चूर चूर हो जाओगे
मैं हूं इस युग की वीर क्षत्राणी
अबला से सबला तक की कहानी