STORYMIRROR

Preeti Kumari

Others

4  

Preeti Kumari

Others

माँ

माँ

1 min
169

खूब हँसाती है माँ,

हर पल साथ निभाती है माँ।

जब भी ही जाए आंखें नम,

तब सीने से लगाती है माँ।


धूप में छाया बन जाती है माँ,

हर तकलीफों से हमें बचाती है माँ।

खुद का ग़म भूला कर,

हम तक सुख पहुंचाती है माँ।


त्याग की मूरत है माँ,

सब की ज़रूरत है माँ।

खुशियां भी गले लगाती है,

जब मुस्कुराती है माँ।


माँ को कभी न रोने देना,

खुद से दूर न होने देना।

हर ग़म, तकलीफें उनसे दूर रहे,

रब से दिन रात यही दुआ करना।


माँ शब्द ही खुद में पूर्ण है,

जिससे सृष्टि भी सम्पूर्ण है।

जिस घर में रहती खुशी से माँ है,

स्वयं परमात्मा विराजमान वहाँ है।।


     


Rate this content
Log in