गुरुवर
गुरुवर
पुष्प तुम्हे अर्पण करूं,
पूजन करूं अर्चन करूं।
चरण धूलि मस्तक धरूं,
हे मेरे गुरुवर,शत् शत् तुम्हे नमन करूं।
गागर में सागर कहलाए,
गुरु बिन किसे ज्ञान आए।
समता,ममता का पाठ पढ़ाए,
शिष्य को अपने सही मार्ग दिखाए।
संत महात्मा यही बताते,
बिन गुरु के ज्ञान चक्षु खुल नहीं पाते।
साक्षी हमेशा से इतिहास रहा,
गुरु चरणों में स्वर्ग मिला।
गुरु कृपा बिन न होते वारे न्यारे,
गुरु ही भाव सागर से पार उतारे।
गुरुवर हमारे अवगुण चित्त न धरना,
हो जाए कोई भूल तो क्षमा करना।